डोनाल्ड ट्रम्प ने 20 जनवरी 2025 को अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। उन्होंने अपने भाषण में “अमेरिका फर्स्ट” की नीति पर जोर देते हुए कई अहम घोषणाएं कीं, जिनका असर न केवल अमेरिका बल्कि वैश्विक और भारतीय अर्थव्यवस्था और भारतीय शेयर बाजार पर भी देखने को मिला।
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भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट
21 जनवरी को भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट दर्ज की गई। जानकारी के मुताबिक़, डोनाल्ड ट्रम्प के भाषण में दिए गए चौंकाने वाले बयानों और नीतियों का सीधा असर शेयर बाजार पर पड़ा है। मंगलवार 21 जनवरी को शेयर बाजार पूरी तरह से डगमगा गई और बैंक निफ्टी, सेंसेस्क्स, निफ्टी फिफ्टी सभी में अच्छा खासा गिरावट देखने को मिला। आइये जानते हैं मार्केट में कितना गिरावट हुआ-

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- SENSEX : 1235.08 अंक (1.60%) की गिरावट के साथ 75,641.87 पर बंद हुआ।
- NIFTY 50 : 320.10 अंक (1.37%) गिरकर 22,976.85 पर आ गया।
- NIFTY BANK : 779.90 अंक (1.58%) की गिरावट के साथ 48,430.95 पर बंद हुआ।
- BANKEX : 1015.31 अंक (1.81%) की गिरावट के साथ 54,851.06 पर आ गया।
- NIFTY MIDCAP SELECT : में 343.15 अंक (2.78%) की सबसे ज्यादा गिरावट देखी गई।
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डोनाल्ड ट्रम्प की घोषणाएं और देश की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
डोनाल्ड ट्रम्प ने शपथ ग्रहण के बाद कई नीतिगत फैसले लिए हैं, जिनका वैश्विक स्तर पर असर हो सकता है। ट्रम्प ने घरेलू उद्योग और नौकरियों को प्राथमिकता देने की बात कही, जिससे भारतीय आईटी और वस्त्र उद्योग के निर्यात पर प्रभाव पड़ सकता है। अमेरिका में ऊर्जा उत्पादन बढ़ाने और तेल-गैस आयात कम करने की घोषणा से वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव हो सकता है, जिसका असर भारत की ऊर्जा लागत पर पड़ेगा। ट्रम्प ने अपने व्यापारिक समझौतों को फिर से समीक्षा करने की बात कही है, जिससे भारत-अमेरिका के व्यापारिक संबंध प्रभावित हो सकते हैं। विदेशी कामगारों पर कड़े नियमों की बात कही गई, जिससे H1B वीजा और भारतीय पेशेवरों को नुकसान हो सकता है।

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भारत को इससे क्या खतरा हो सकता है ?
ट्रम्प की नीतियों से भारतीय अर्थव्यवस्था के कई सेक्टर प्रभावित हो सकते हैं। जो कुछ इस प्रकार हैं :-
- आईटी सेक्टर: अमेरिका के संरक्षणवादी कदम भारतीय आईटी कंपनियों के लिए एक चुनौती बन सकते हैं।
- तेल और गैस: अमेरिकी ऊर्जा नीति से भारत के तेल आयात की लागत बढ़ सकती है। जिससे भारत को काफी नुकसान हो सकता है जिसका असर सीधे देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।
- विदेशी निवेश: अमेरिका की नई नीतियों के चलते विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) कम हो सकता है, जिससे बाजार में अस्थिरता आएगी।
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FII /DII गतिविधियाँ
भारतीय शेयर बाजार में 21 जनवरी को एफआईआई (फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स) द्वारा भारी बिकवाली दर्ज की गई। एफआईआई ने कैश मार्केट में ₹5920.28 करोड़ की बिकवाली की, जबकि डीआईआई (डोमेस्टिक इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स) ने ₹3500.32 करोड़ की खरीदारी की।डेरिवेटिव्स मार्केट में भी एफआईआई ने ₹2428.17 करोड़ के इंडेक्स फ्यूचर्स और ₹5457.73 करोड़ के स्टॉक फ्यूचर्स बेचे। जो एक तरह से भारतीय शेयर बाजार में गिरावट का संकेत दे रहा है। हालांकि अभी भी डीआईआई ने मार्केट को उठाने में पूरी कोशिश कर रहे हैं।

FII द्वारा लगातार SALE किया जा रहा है जो मार्केट के नेगेटिव साइड को प्रदर्शित करता है.
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डोनाल्ड ट्रम्प की नई नीतियों और बयानों का असर भारतीय बाजार और अर्थव्यवस्था पर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। भारतीय बाजार में गिरावट के साथ निवेशकों का रुख सतर्क हो गया है। मार्केट विशेषज्ञों का मानना है कि अगर ट्रम्प प्रशासन अपनी “अमेरिका फर्स्ट” नीति पर तेजी से कदम उठाता है, तो भारत को अपने व्यापार और निवेश नीति में बदलाव कर तैयार रहना होगा। हालाँकि 1 फरवरी को निर्मला सीतारमण बजट पेश करने वाली हैं। नए बजट आने के बाद ही मार्केट में सुधार आने की सम्भावना हो सकती है।
इस पर आपकी क्या राय है क्या मार्केट अभी और गिरेगा या मार्केट में बुलिश मूवमेंट देखने को मिलेगा।
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