राज्यसभा ने बीते गुरुवार की देर रात वक्फ संशोधन विधेयक 2025 को 13 घंटे से अधिक चली मैराथन बहस के बाद पारित कर दिया। ध्वनि मत की बजाय विधेयक पर मत-विभाजन कराया गया, जिसमें 128 सांसदों ने विधेयक के पक्ष में और 95 ने विरोध में मतदान किया। लोकसभा की तरह राज्यसभा में भी विपक्ष के सभी संशोधन प्रस्ताव खारिज कर दिए गए। अब यह विधेयक राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के लिए भेजा जाएगा, जिसके बाद अधिसूचित होते ही यह कानून बन जाएगा।
गरमाई राज्यसभा में बहस : विपक्ष बनाम सत्ता पक्ष
विधेयक पर चर्चा के दौरान सदन में गरमागरम बहस देखने को मिली। विपक्ष की ओर से मल्लिकार्जुन खरगे, रामगोपाल यादव और कपिल सिब्बल जैसे दिग्गज नेताओं ने तीखा विरोध दर्ज कराया, वहीं सत्ता पक्ष की ओर से किरेन रिजिजू, जेपी नड्डा, राधामोहन अग्रवाल और उपेंद्र कुशवाहा ने मोर्चा संभाला।
सरकार ने दिए तमाम आरोपों का करारा जवाब
राज्यसभा में चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष के तमाम आरोपों का सिलसिलेवार खंडन किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय वक्फ काउंसिल में गैर मुस्लिमों का बहुमत नहीं होगा, क्योंकि 20 सदस्यीय बॉडी में चार से अधिक गैर मुस्लिम सदस्य नहीं हो सकते। इसी तरह राज्य स्तरीय बॉडी में भी तीन से ज्यादा गैर मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे।रिजिजू ने कहा कि विधेयक में कई संशोधन विपक्ष के सुझावों के आधार पर किए गए हैं, जैसे पहले से रजिस्टर्ड संपत्तियों में छेड़छाड़ नहीं करने का प्रावधान और गैर रजिस्टर्ड वक्फ ट्रस्टों के लिए समयसीमा बढ़ाना।
वक्क सम्पतियों पर सरकार नहीं जमायेगी अधिकार
रिजिजू ने विपक्ष के इस आरोप पर कि सरकार मुस्लिम मामलों में दखल दे रही है, पलटवार करते हुए कहा, “जब मोदी सरकार को जनता ने चुना है तो वह सभी समुदायों के हित में निर्णय ले सकती है। विपक्ष खुद को मुसलमानों का ठेकेदार समझता है।”उन्होंने यह भी पूछा कि “अगर आज मुसलमानों की हालत खराब है तो आजादी के बाद 60 वर्षों तक कांग्रेस और अन्य दलों ने क्या किया?”
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