आज शारदीय नवरात्रि का आठवां दिन है ,इस दिन महागौरी की पूजा-अर्चना की जाती है I इस दिन को महाष्टमी या अष्टमी के नाम से जाना जाता है, माँ दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा के लिए समर्पित होता है। यह दिन नवरात्रि के सबसे महत्वपूर्ण दिनों में से एक है और इसे अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन भक्त माँ महागौरी की आराधना करते हैं और कंजक पूजन (कन्या पूजन) के रूप में नौ कन्याओं की पूजा करते हैं। महाष्टमी का दिन विशेष रूप से शांति, समृद्धि और पवित्रता का प्रतीक है।

माँ महागौरी का स्वरूप

माँ महागौरी का स्वरूप
महाष्टमी : माँ महागौरी

माँ महागौरी को शांति, पवित्रता और शक्ति की देवी के रूप में पूजा जाता है। उनका स्वरूप श्वेत (सफेद) होता है, जो पवित्रता और शांति का प्रतीक है। उनके चार हाथ होते हैं, जिनमें से एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे में डमरू होता है। अन्य दो हाथों से वे वर और अभय मुद्रा में आशीर्वाद देती हैं। महागौरी का वाहन बैल (नंदी) है और वे सफेद वस्त्र धारण करती हैं। उन्हें अत्यंत कांतिमान और तेजस्वी देवी के रूप में जाना जाता है। महागौरी का रूप दर्शाता है कि वे अपने भक्तों को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति दिलाती हैं और जीवन में शांति और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।

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माँ महागौरी की पौराणिक कथा

माँ महागौरी के रूप में पार्वती का यह स्वरूप उनके कठोर तप से जुड़ा हुआ है। पौराणिक कथा के अनुसार, जब देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठिन तपस्या की, तो उनके शरीर का रंग काला हो गया था। उनकी तपस्या इतनी कठोर थी कि वे कई वर्षों तक केवल वायु का सेवन करती रहीं और बिना किसी विश्राम के तप करती रहीं। उनकी इस कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें आशीर्वाद दिया और उन्हें गंगा के पवित्र जल से स्नान कराया, जिससे उनका शरीर कांतिमान और श्वेत हो गया। इस रूप में उन्हें महागौरी के नाम से जाना गया। इस कथा के अनुसार, महागौरी का स्वरूप तप, धैर्य और समर्पण का प्रतीक है।

महाष्टमी का महत्व

महाष्टमी का दिन का यह दिन अत्यंत शुभ माना जाता है और इसे “दुर्गा अष्टमी” के रूप में भी मनाया जाता है। माँ महागौरी की पूजा करने से जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि की प्राप्ति होती है। ऐसा माना जाता है कि महागौरी की उपासना करने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। महाष्टमी के दिन विशेष रूप से कन्या पूजन का महत्व होता है। इस दिन नौ कन्याओं को देवी के नौ रूपों का प्रतीक मानकर पूजते हैं और उन्हें भोजन कराते हैं। यह पूजा देवी के प्रति आस्था, समर्पण और भक्ति को दर्शाती है।

पूजा-विधि

महाष्टमी के दिन “माँ महागौरी” की पूजा करने के लिए कुछ विशेष विधियों का पालन किया जाता है। सुबह जल्दी उठकर स्नान करके पूजा स्थान को शुद्ध करें और माँ महागौरी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। पूजा में माँ महागौरी की पंचोपचार विधि से पूजा की जाती है, जिसमें गंध, पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित किए जाते हैं। माँ महागौरी को सफेद फूल, विशेष रूप से चमेली के फूल, अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है। साथ ही, उन्हें सफेद वस्त्र अर्पित किए जाते हैं। पूजा के दौरान माँ महागौरी के मंत्रों का जाप करना चाहिए।

मन्त्र : “श्वेते वृषे समारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा॥

महाष्टमी के दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व

इस दिन नौ कन्याओं को देवी दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक मानकर पूजा जाता है। इन कन्याओं को भोजन कराया जाता है और उन्हें उपहार दिए जाते हैं। पूजा के बाद कन्याओं का आशीर्वाद लिया जाता है। इसे “कंजक पूजन” या “कन्या पूजन” भी कहा जाता है। यह पूजा भक्ति और समर्पण का प्रतीक मानी जाती है और इसे करने से देवी माँ का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

व्रत और साधना

महाष्टमी के दिन कई भक्त व्रत भी रखते हैं। यह व्रत देवी के प्रति समर्पण और श्रद्धा का प्रतीक है। इस दिन की साधना से मानसिक शांति और आत्मिक शुद्धि प्राप्त होती है। साथ ही, भक्त अपने जीवन से सभी प्रकार के कष्टों और परेशानियों से मुक्ति प्राप्त कर लेते हैं।

महाष्टमी का दिन माँ महागौरी की कृपा पाने का सुनहरा अवसर होता है। इस दिन की पूजा से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है, और भक्तों को माँ का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

By PARAS

Paras Nath is a passionate content creator and writer at Buzzera.in, covering news, entertainment, cricket, automobiles and poetry etc. With a keen eye for detail and a dedication to storytelling, he brings fresh insights and engaging content to his readers. Always eager to learn and evolve, Paras blends creativity with information to make an impact.

One thought on “शारदीय नवरात्रि का 8 वां दिन- महाष्टमी और माँ महागौरी की पूजा का महत्व”

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