सेहतमंद रहना क्यों जरुरी है?
सेहतमंद जीवन जीने के लिए आज के तकनीकी युग में इंसान को तकनीक पर अपनी निर्भरता को संतुलित करना बेहद जरूरी है। बढ़ते टेक्नोलॉजी के ज़माने में आज इंसान पूरी तरह से टेक्नोलॉजी पर इतना निर्भर पर हो गया है कि उसे अपने सेहत का जरा सा भी ख्याल नहीं है , इसका जीता जागता उदाहरण सोशल मीडिया है। आज इंसान फेसबुक, whatsapp, instagram पर घंटों समय बिता रहे हैं और अपना सेहत और समय दोनों गवां रहे हैं। जिसका परिणाम यह देखने को मिल रहा है कि आज इंसान अपने सेहत के लिए आधा घंटा भी समय नहीं निकाल पा रहा है जबकि सोशल मीडिया के लिए उनको समय कम पड़ जाता है।
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हर इन्सान को स्वस्थ और संतुलित जीवन जीने के लिए एक दिनचर्या का पालन करना बेहद जरूरी है। यह दिनचर्या शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है। तो आइये आज हम एक स्वस्थ और निरोगी जीवन जीने के लिए अपने दिनचर्या का समय सारिणी बनाकर कैसे एक स्वस्थ इंसान की जीवन की यात्रा को आगे बढ़ा सकते हैं
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सुबह के समय का शेड्यूल
अगर आप रोज देर से सोकर उठते हैं तो अब से जल्दी उठने की आदत डालें, इसके लिए सबसे पहले आपको सोते समय अपने स्मार्टफोन में अलार्म सेट कर लें। आप अपने उम्र और दैनिक कार्य के हिसाब से अलार्म लगा सकते हैं फिर भी कोशिश कि सुबह जल्दी उठने का प्रयत्न करें।
अगर आप नौजवान हैं तो कोशिश कीजिये कि आप सुबह के 4 बजे सोकर उठ जाएँ या फिर आपकी उम्र इससे ज्यादा है या आपका वर्क उतना ज्यादा नहीं है तो फिर आप सुबह 5 से 6 बजे सोकर उठने की कोक्षिश करें। अगर आप इसके बाद आप 7-8 बजे सोकर उठते हैं तो ये आलसी की निशानी है। ऐसा नहीं है कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो देर रात अपना स्टडी करने के बाद दिन में सोकर अपना नींद पूरा करते हैं।
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पर सोने का सही समय 10 से 4 सेहत के लिए अच्छा माना जाता है। सोने से पहले अलार्म लगा लें शुरूआत के दिनों में आपको अलार्म से चिढ़ हो सकती है लेकिन फिर भी आपको कोशिश करना है अलार्म बजने के बाद बिस्तर से आलस को त्यागते हुए उठ ही जाना है। इसके बाद एक गिलास पानी बैठकर पीना चाहिए। सुबह उठकर पानी स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक होता है यह प्राचीन काल से चला आ रहा है।
ऐसा करने से शरीर के अंगों में सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलता है। इसके बाद आपको फ्रेश होना है और हाथ-पैर अच्छे से धोने के बाद व्यायाम और कसरत करें। व्यायाम करने के बाद सुबह नाश्ते में भीगे चने या अंकुरित अनाज, फल, दलिया और उबले हुए अंडे का सेवन करें और खाते समय खाने को चबा-चबाकर और आराम-आराम से खाना खाएं।
इसके आधा घंटे बाद बैठकर पानी पीयें, ध्यान रहे कि पानी हमेशा बैठकर ही पीयें। खड़े होकर पानी पीने से जॉइंट्स और शरीर अन्धरुनी भाग जैसे ह्रदय, फेफड़े और किडनी में इसका दुष्प्रभाव होने का खतरा होता है।
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दोपहर के समय का शेड्यूल
दोपहर के समय अपने काम को अपनी प्राथमिकता दें चाहे आप ऑफिस में हों या खेत में बीच में 5 से 10 मिनट का ब्रेक लेकर पानी पीते रहें ताकि शरीर में हाईड्रेशन बना रहे। दोपहर में अपने खाने में दाल, रोटी, चावल, और सलाद शामिल करें, अगर आप मांसाहारी हैं तो आप अंडे या मांस-मछली भी ऐड कर सकते हैं और खाने के तुरंत बाद ही कोई भी मेहनत वाला काम न करें। खाने के बाद थोड़ा सा रेस्ट लें फिर कोई काम शुरू करें।
दोपहर के बाद का शेड्यूल
दोपहर में खाना खाने के बाद कुछ समय आराम करें इससे शरीर और दिमाग दोनों तरोताजा रहता है। ऐसे में काम करने में मन लगा रहता है और तनाव से छुटकारा भी मिल जाता है। दोपहर के बाद एक से दो घण्टे काम करने के बाद ग्रीन टी और नट्स का सेवन करना भी हेल्थ के लिए फायदेमंद होता है। इसे आप 4 से 5 बजे के बीच कर सकते हैं । 4 से 5:30 बजे यदि आपके पास समय है तो आप वक्त निकालकर खुली और ताज़ी जगह पर जाकर व्यायाम या कसरत कर सकते हैं। इसके अलावा आप खेल-कूद जैसी एक्टिविटी भी कर सकते हैं।
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शाम के समय का शेड्यूल
शाम के वक्त ऑफिस या अपने घरेलू काम को खत्म करने के बाद जिम, एक्सरसाइज या टहलने जैसी आदतों को अपने जीवन में शामिल कर सकते हैं। शाम के समय हो सके तो अपने परिवार के लिए भी वक्त निकालकर दिनभर की गतिविधियों पर चर्चा करें और एक-दुसरे का हाल जानने की कोशिश करें।
फैमिली के साथ वक्त बिताते समय मोबाइल को कुछ देर के लिए थोड़ा पराया कर दें ताकि अपनों के बीच में थोड़ा समय मिल सके। शाम के समय अपनी पसंदीदा राइटर की बुक पढ़ें, हो सके तो एक डायरी अपने पास रख लें और अपने विचारों को उस डायरी में पिरोने की कोशिश करें।
रात्रि के समय का शेड्यूल
रात्रि के समय हमेशा हल्के भोजन का सेवन करें यहाँ हल्के भोजन से तात्पर्य जिसे पचाने में शरीर को कम ऊर्जा की आवश्यकता हो, रात के समय मसालेदार खाने को परहेज करना चाहिए। रात के समय मसालेदार और ठूंस-ठूंसकर खाना खाने से पेट में गैस होने का खतरा रहता है साथ ही ऐसे में पेट सम्बन्धी विकार का भी खतरा बना रहता है।
रात में हल्के भोजन करने से सुबह सोकर उठने पर इंसान अच्छे से फ्रेश हो पाता है जिससे वह खुद को तरोताजा पाता है। सोने से पहले हल्के गुनगुने दूध का सेवन करना सेहत करना सेहत करना फायदेमंद होता है।
रात के समय खाना हमेशा सोने से आधा से एक घंटे के पहले ही कर लेना चाहिए। खाने के तुरंत बाद सोने से परहेज करना चाहिए। हो सके तो खाने के बाद खुले में टहलें फिर लगे कि पेट थोड़ा हल्का लग रहा है तो फिर सोने के बारे में विचार करें। इस बात का भी ध्यान जरुर रखें कि सोते समय मोबाइल का इस्तेमात बिल्कुल भी ना करें, सोते समय मोबाइल देखने से मोबाइल का सारा रोशनी सीधे हमारे आखों में पड़ती है जिससे आँखें कमजोर और आँखों के आसपास झुरियाँ पड़ने लगती हैं।
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एक स्वस्थ्य मनुष्य को 7 से 8 घंटे की नींद लेनी चाहिए। वैसे 5 से 6 घंटे की नींद भी पर्याप्त होती है। मेरे (पारस)अनुसार सोने का सही समय रात्रि के 10 से 4 बजे का समय अच्छा होता है। आप भी कोशिश कीजिये कि 10 से 10:30 तक सो ही जाना है। सोते समय आप मैडिटेशन म्यूजिक या ओम जैसे ध्वनी को सुन सकते हैं इससे दिमाग से नाकारात्मक विचार दूर होते हैं और अच्छी नींद आती है।
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Sunday का दिन और सप्ताह की योजना और तनावमुक्त
सन्डे के दिन आप पूरे हफ्ते भर का शेड्यूल बनाएं और उसी के अनुरूप अपने काम को अंजाम दें। ऐसा करने से वर्क लोड कम होता है साथ ही काम या दुसरे चीजों का चिंता नहीं रहता है जिससे इंसान दिनभर खुद को तरोताजा पाता है। सन्डे के दिन खुद के लिए समय दें और अपने दोस्तों-परिवार को समय दें, खेल-खुद जैसी गतिविधियों को इस दिन अपने शेड्यूल में शामिल करें। रविवार के दिन नई स्किल को सीखने की कोशिश करें।
इस तरह से अपने दिनचर्या को अपनाने से न केवल शारीरिक रूप से आप अपने स्वास्थ्य बेहतर कर पायेंगे, बल्कि मानसिक रूप से भी आप खुद को पहले से बेहतर बना पायेंगे। बस एक बात का ध्यान रखना होगा आपको नियमित रूप से अपने दिनचर्या में चीजों को अपनाना होगा। इसे दो से तीन सप्ताह प्रतिदिन अपने जीवन में शामिल करेंगे तो आप खुद में बहुत फर्क पायेंगे।
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