छत्तीसगढ़ में इन दिनों अपराधों की बढ़ती घटनाएँ और कानून व्यवस्था की नाकामी चिंता का विषय बनती जा रही है। एक के बाद एक हो रही हिंसक घटनाओं से राज्य की स्थिति और भी गंभीर होती जा रही है। सबसे ताजा घटना बलरामपुर जिले की है, जहाँ कोतवाली थाना के अंदर एक युवक ने फाँसी लगाकर आत्महत्या कर ली। इस घटना के बाद वहां की जनता और मृतक के परिवार वालों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया और पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए। यह घटना न केवल स्थानीय लोगों के बीच आक्रोश का कारण बनी, बल्कि राज्य की पुलिस व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर रही है।
बलरामपुर जिले की घटना: क्या हुआ?
24 अक्टूबर को बलरामपुर जिले के कोतवाली थाना में एक युवक ने फाँसी लगाकर अपनी जान दे दी। इस घटना के बाद मृतक के परिवारजन और ग्रामीणों ने इसे आत्महत्या मानने से इनकार कर दिया। उनका आरोप है कि युवक पुलिस कस्टडी में था, और कस्टडी में रहते हुए आत्महत्या करना संभव नहीं है। परिजनों ने आरोप लगाया कि युवक को पुलिस ने प्रताड़ित किया और यह मामला हत्या का हो सकता है।
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परिजनों और जनता का विरोध
जब इस दुखद घटना की खबर फैली, तो परिजनों और ग्रामीणों ने थाने के बाहर इकट्ठा होकर जमकर विरोध प्रदर्शन किया। आक्रोशित भीड़ ने थाने पर पत्थरबाजी की और आसपास खड़ी गाड़ियों को नुकसान पहुँचाया। भीड़ ने पुलिस प्रशासन पर आरोप लगाते हुए उन्हें जिम्मेदार ठहराया। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि पुलिस को भीड़ को नियंत्रित करने के लिए आँसू गैस और लाठीचार्ज करना पड़ा।
पुलिस की कार्रवाई और सवालों के घेरे में कानून
घटना के बाद पुलिस ने मृतक के परिजनों और भीड़ को समझाने की कोशिश की, लेकिन उनका गुस्सा शांत नहीं हो रहा था। परिजनों का कहना था कि कस्टडी में रहते हुए कोई व्यक्ति आत्महत्या कैसे कर सकता है? इसका सीधा मतलब यही है कि मामला संदिग्ध है और इसकी गहराई से जांच होनी चाहिए। परिजनों के अनुसार, अगर पुलिस की मौजूदगी में ऐसा हो सकता है, तो फिर आम जनता की सुरक्षा का क्या होगा?
इस घटना ने छत्तीसगढ़ की कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह कोई पहली बार नहीं है जब राज्य में इस तरह की घटनाएँ हुई हैं। इससे पहले भी राज्य के अलग-अलग हिस्सों में अपराध और हिंसा की घटनाएँ बढ़ती जा रही हैं, और सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।
इससे पहले 10 जून को बालोदाबाजार में हुए दंगे ने राज्य में कानून व्यवस्था की खामियों को उजागर किया था। इसी तरह 14 अक्टूबर को सूरजपुर में प्रधान आरक्षक आशिफ शेख के ऊपर खौलता हुआ तेल फेंकने की घटना ने भी पुलिस प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े किए थे। इन घटनाओं के बावजूद, ऐसा लगता है कि राज्य सरकार अपराधों पर नियंत्रण पाने में विफल रही है।
क्या राज्य की कानून व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है?
जब हम छत्तीसगढ़ की वर्तमान स्थिति को देखते हैं, तो यही सवाल उठता है कि राज्य में कानून व्यवस्था इतनी कमजोर क्यों हो गई है? आए दिन हो रहे अपराध, दंगे और पुलिस प्रशासन की नाकामी इस ओर इशारा करती है कि राज्य में कानून व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। बलरामपुर की घटना भी इसी ओर इशारा करती है। पुलिस कस्टडी में एक व्यक्ति की मौत होना कोई छोटी बात नहीं है, और यह स्पष्ट रूप से कानून व्यवस्था की विफलता को दर्शाता है।
पुलिस का काम होता है लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना, लेकिन जब पुलिस खुद ही सवालों के घेरे में आ जाती है, तो जनता का भरोसा टूटना स्वाभाविक है। कस्टडी में होने वाली किसी भी मौत को लेकर पुलिस की जिम्मेदारी और जवाबदेही तय होनी चाहिए। अगर ऐसी घटनाएँ बढ़ती रहीं, तो राज्य की कानून व्यवस्था पर से जनता का भरोसा पूरी तरह उठ सकता है।
भीड़ का आक्रोश और सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो
घटना के बाद जब लोगों का गुस्सा उफान पर था, तो भीड़ ने थाने के अंदर जमकर हंगामा किया। लोहे की रैलिंग को उखाड़ दिया और पुलिस प्रशासन पर जोर-जोर से चिल्लाने लगे। इस हंगामे का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया, जिसने राज्य के अन्य हिस्सों में भी हलचल मचा दी। यह घटना साफ तौर पर दिखाती है कि जनता अब कानून व्यवस्था से निराश हो चुकी है और उन्हें पुलिस पर भरोसा नहीं रहा।
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बलरामपुर की घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा किया है कि राज्य सरकार अपराधों पर काबू पाने के लिए क्या कर रही है? आए दिन हो रहे अपराधों के बावजूद, सरकार की ओर से कोई सख्त कार्रवाई देखने को नहीं मिल रही है। अगर समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो राज्य में कानून व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा सकती है। सरकार को चाहिए कि वह पुलिस प्रशासन में सुधार करे और अपराधों पर सख्ती से कार्रवाई करे ताकि जनता का भरोसा बहाल हो सके।
छत्तीसगढ़ में बढ़ते अपराध और पुलिस की नाकामी राज्य की गंभीर समस्या बनती जा रही है। बलरामपुर की घटना ने यह साबित कर दिया है कि राज्य की कानून व्यवस्था खतरे में है। पुलिस कस्टडी में किसी की मौत होना गंभीर चिंता का विषय है और इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता। राज्य सरकार को जल्द ही इस पर ध्यान देना चाहिए और अपराधों पर नियंत्रण पाने के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए, ताकि जनता की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।